नहीं कोई मेल हम दोनो का ,सब खत्म आज मेरी सुहानी शाम बना दी तुमने काली रात ! नहीं कोई मेल हम दोनो का ,सब खत्म आज मेरी सुहानी शाम बना दी तुमने काली रात !
मान,अपमान की परवाह न उसको, शत्रु-मित्र को सम समझता।। मान,अपमान की परवाह न उसको, शत्रु-मित्र को सम समझता।।
चप्पल पहनो तो, कंकर कांटों से बचाती, नाज़ुक पैरों को आराम दिलाती, चप्पल पहनो तो, कंकर कांटों से बचाती, नाज़ुक पैरों को आराम दिलाती,
सच्चाई सामने आते ही बहु के सामने शर्म से लज्जित हो जाता है फिर भी नहीं शर्म आता है। सच्चाई सामने आते ही बहु के सामने शर्म से लज्जित हो जाता है फिर भी नहीं शर्म ...
जो मिट गई दया यहाँ से धर्म को कैसे पायेंगे जो मिट गई दया यहाँ से धर्म को कैसे पायेंगे
वो कहती कुछ नहीं है पर जानती सब कुछ है। वो कहती कुछ नहीं है पर जानती सब कुछ है।